पटना: 07 दिसम्बर, 2021 : मंगलवार को राजकीय मध्य-उच्च विद्यालय, पैनाठी, बिहटा में 16 दिवसीय पखवाड़े के अंतर्गत फोरम थिएटर का मंचन कार्यक्रम सहयोगी संस्था एवं इब्तिदा नेटवर्क के द्वारा आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम के आयोजन द्वारा समाज में कुरीति के रूप में व्याप्त घरेलू हिंसा एवं जेंडर आधारित भेदभाव पर अलख जागते हुए समुदाय को संवेदनशील बनाने की कोशिश की गयी. इस दौरान बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे समुदाय के लोग शामिल हुए. साथ ही शिक्षक एवं जन-प्रतिनिधियों ने भी आयोजन में सरीक होते हुए घरेलू हिंसा एवं जेंडर आधारित भेदभाव पर अपनी राय रखी.
समाज में लड़कियों की स्थिति पर दिया गया सन्देश:
फोरम थिएटर के माध्यम से समाज में लड़कियों के साथ हो रहे भेदभाव पर प्रकाश डाला गया. प्रस्तुती के माध्यम से यह दिखाने का प्रयास किया गया कि किस तरह एक लड़की को लड़के की तुलना में अधिक भेदभाव झेलना पड़ता है. यह भेदभाव उनके जन्म से ही शुरू हो जाती है. जो आगे चलकर उनके पोषण, शिक्षा, निर्णय लेने की स्वतंत्रा में भी सपष्ट रूप से दिखती है. कार्यक्रम के प्रस्तुतीकरण द्वारा यह सन्देश दिया गया कि संतुलित विकास के लिए यह अनिवार्य शर्त है कि महिलाओं की अनदेखी न हो. सामाजिक कुरीतियों/कुप्रथाओं पर तंज करते हुए कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह, दहेज़ प्रथा, आदि के कारण लड़कियों-महिलाओं पर होने वाले शोषण पर मजबूत सन्देश दिया गया.
अभी भी महिलाओं को झेलने पड़ती है यातनाएं:
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सहयोगी संस्था की कार्यक्रम निदेशिका रजनी ने कहा कि सहयोगी संस्था अपने आरम्भ से ही सक्रीय रूप से महिलाओं के प्रति हो रहे हिंसा एवं इसके व्यक्तिगत एवं सामाजिक दुष्परिणामों के बारे में समुदाय एवं विभिन्न हितधारकों को जागरूक एवं संवेदनशील बनने के लिए प्रयास कर रही है. समुदाय एवं सभी हितधारकों को इस मुद्दे पर जागरूक कर जेंडर आधारित हिंसा एवं भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि घर के बाहर की हिंसा के साथ-साथ लडकियाँ-महिलाएँ घर में भी अनेक तरह की हिंसा और भेदभाव झेलती हैं. उन्होंने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 का हवाला देते हुए कहा कि 18-49आयु-वर्ग की विवाहित महिलाओं में 40% महिलाओं ने पति की हिंसा का सामना किया है. वहीं इसी आयु-वर्ग में 2.8% गर्भवती महिलाओं ने भी शारीरिक हिंसा को झेला. उन्होंने कहा कि नए सर्वे में यह बात निकलकर आती है कि 18-29 आयु-वर्ग की 8.3% महिलाओं ने 18 वर्ष तक की आयु पहुंचने तक कभी न कभी यौन हिंसा का सामना किया. उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों से अपील किया कि बेटी-बेटे को समान अवसर और अधिकार दें, तभी हमारे समाज का संतुलित और स्थायी विकास हो सकेगा.
शिक्षकों एवं जन-प्रतिनिधियों ने भी रखी अपनी राय:
इस अवसर पर पैनाठी के राजकीय मध्य-उच्च विद्यालय के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों एवं स्थानीय महिला-पुरुषों द्वारा प्रतिभागिता की गई. कार्यक्रम में पैनाठी के मुखिया श्री विनय विभूति, सरपंच श्री वीरेंदर कुमार के साथ अन्य पंचायत प्रतिनिधियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की.
मुखिया श्री विनय विभूति ने कहा, “ हमारे समाज में बहुत-सी कुरीतियाँ व्याप्त हैं, जिसे हम सभी को मिलकर समाप्त करना है, हम बेटे-बेटी में अंतर न करें, दोनों को समान शिक्षा, पोषण, अवसर और अधिकार दें।“
सरपंच श्री वीरेन्द्र कुमार ने कहा, “ सहयोगी संस्था बहुत सराहनीय कार्य कर रही है, लड़का-लड़की के भेद को समाप्त करने, हिंसा की पहचान कर उसका विरोध करना तथा अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए समुदाय को जागरूक करने के लिए प्रयास कर रही है।“
इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षकों ने भी अपने विचार रखे. शिक्षक श्री बच्चा प्रसाद ने कहा कि महिलाओं को यह कहना कि घर का काम आसान होता है, लेकिन घर संभालना आसान नहीं है। अध्यापक श्री कृष्ण लाल ने कहा कि हमारे शास्त्र में संतान का मतलब केवल पुत्र नहीं कहा गया है. संतान का अर्थ पुत्र-पुत्री दोनों हैं. यह कहीं नहीं लिखा गया है कि मृत्यु के बाद बेटा ही अग्नि देगा.
कार्यक्रम में उन्नति, उषा, संजू, बिंदु, निर्मला, रिंकी, रूबी, मुन्नी, लाजवंती, मनोज, धर्मेन्द्र, नितीश एवं सुरेन्द्र ने भी भाग लिया।
रिपोर्टर
Hemendra Kumar
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
रिपोर्टर
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
Hemendra Kumar